अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेम्स डेविड (JD) वेंस गुरुवार सुबह जयपुर से वॉशिंगटन (USA) के लिए रवाना हो गए। वे चार दिन जयपुर में रहे।
उनकी विजिट को कूटनीतिक मोर्चे के अलावा कल्चरल एक्सचेंज और व्यापारिक रिश्ते बेहतर बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
वेंस ने भारत यात्रा में सबसे ज्यादा वक्त जयपुर में ही बिताया है। दरअसल, पिछले कुछ सालों में जयपुर डिप्लोमैटिक मीटिंग और विश्व नेताओं के लिए अब पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।
इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली से नजदीक होने के साथ विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अलग पहचान भी एक बड़ा कारण है। जिस तरह यूरोप में वेनिस, एथेंस और रोम जैसे ऐतिहासिक शहर हैं उसी तरह जयपुर भी अपनी अलग पहचान रखता है।
कनेक्टिविटी और सुविधाएं भी बड़ा कारण
जयपुर में सुरक्षा को लेकर चुनौतियां कम हैं। दिल्ली से नजदीक है और सब जगह से अच्छी एयर कनेक्टिविटी है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट होने के साथ यहां बैठकों के लिए विश्व प्रसिद्ध होटल्स और अच्छे ऑडिटोरियम हैं जो डिप्लोमैटिक बैठकों के लिए मुफीद हैं।
सिक्योरिटी एजेंसियों को जयपुर में वीआईपी सुरक्षा का पुराना अनुभव
अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को जयपुर और आसपास के इलाकों में वीआईपी सिक्योरिटी को संभालने का पुराना अनुभव है। करीब 25 साल पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जयपुर दौरे पर आए थे।
उस समय क्लिंटन जहां-जहां गए थे, वहां पूरी सुरक्षा व्यवस्था का ब्लू प्रिंट अमेरिकी एजेंसियों के पास था। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के पास पुराना अनुभव होने से सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां बाकी जगहों से कम थीं।
जयपुर गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा, शांति शहर की छवि
जयपुर गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा है, दिल्ली, आगरा और जयपुर का फेमस टूरिस्ट ट्रायंगल है। इस वजह से भी जयपुर को चुना गया।
जयपुर से दिल्ली और आगरा दोनों की अच्छी कनेक्टिविटी है। जयपुर कानून व्यवस्था के हिसाब से शांत शहर है।
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने पीएम मोदी के साथ किया था रोड शो
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पिछले साल जयपुर दौरे पर आए थे। पीएम मोदी और मैक्रों ने जयपुर के परकोटे में रोड शो किया था।
फ्रांस और राजस्थान के बीच कल्चरल हेरिटेज की समानता है। फ्रांस में पुरानी विरासत को अहमियत दी जाती है। मैक्रों की जयपुर यात्रा ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा था।
मैक्रों की यात्रा के वक्त भारत और फ्रांस के बीच डिफेंस समझौते और रक्षा तकनीक ट्रांसफर पर अहम समझौते हुए थे। मैक्रों के रोड शो से जयपुर की खूब चर्चा रही थी।
जयपुर में हुआ था शिखर सम्मेलन
जयपुर इससे पहले बड़ी कूटनीतिक बैठकों की मेजबानी कर चुका है। एशिया प्रशांत के छोटे देशों के संगठन फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (FIPIC) का शिखर सम्मेलन जयपुर में हो चुका है।
इस सम्मेलन के दौरान कई राष्ट्राध्यक्ष जयपुर में रहे थे। कई देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जयपुर के आतिथ्य से खूब प्रभावित हुए थे।
यहां के पर्यटन स्थलों को सराहा था। फिपिक देशों को साधकर भारत ने एशिया प्रशांत क्षेत्र से अपने कूटनीतिक रिश्ते मजबूत किए थे, उसकी शुरुआत जयपुर से ही हुई थी।
डिप्लोमैटिक मैप पर लगातार जगह बना रहा है जयपुर
जयपुर में पिछले कुछ साल में कई बड़ी अंतर्राष्ट्रीय की मीटिंग हुई हैं। हर सरकार के दौर में यह हुआ है। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली दूसरी सरकार के वक्त 2012 में प्रवासी भारतीय दिवस की मेजबानी जयपुर ने की थी।
उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। प्रवासी भारतीय दिवस समारोह में दुनिया भर के प्रवासी भारतीय आए थे। जयपुर में हुई कई बड़ी डिप्लोमैटिक बैठकों में पारित प्रस्तावों को जयपुर डिक्लेरेशन नाम दिया गया था।
जयपुर पर्यटन के लिए दुनिया भर में जाना जाता था, अब यह शहर विरासत और आधुनिकता का मिक्सचर बन चुका है। डिप्लोमैटिक आयोजनों के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर होने की वजह से जयपुर में आगे भी यह सिलसिला जारी रहने के आसार हैं।