ट्यूमर, हृदय रोग या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की जांच से लेकर इलाज की सबसे आधुनिक तकनीक 6 जून 2025 को एम्स भोपाल में शुरू होनी थी। लेकिन, अब तक 58 करोड़ के इस सेंटर का सिविल वर्क तक पूरा नहीं हो सका। माना जा रहा है कि यह सुविधा इस साल दिसंबर माह तक शुरू हो सकेगी।
बता दें, पीईटी सिटी स्कैन की दूसरी बार और गामा नाइफ की पांचवी बार डेड लाइन आगे बढ़ाई गई है। जिससे इन सुविधा के इंतजार कर रहे प्रदेशभर के करीब डेढ़ हजार मरीजों की चिंता बढ़ गई है। वहीं, प्रबंधन अब तक नई डेड लाइन निर्धारित नहीं कर सका है।
जानकारी के अनुसार एम्स में बन रहे 58 करोड़ 28 लाख 40 हजार के इस सेंटर के निर्माण की जिम्मेदारी एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेड की है। वहीं, कॉन्ट्रैक्ट अग्रवाल जगदीश कंस्ट्रक्शन कंपनी के पास है। अब एम्स प्रबंधन इन सभी जिम्मेदारों के साथ बैठक करेगा। जिससे जल्द नई डेड लाइन तय की जा सकें। यह दोनों प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनकी केंद्र (दिल्ली) से मॉनिटरिंग की जा रही है। एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि गामा नाइफ और पीईटी सिटी स्कैन, दोनों प्रोजेक्ट के लिए जरूरी सिविल वर्क तेजी से किया जा रहा है। जल्द ही यह सुविधा शुरू होगी। यह दोनों बड़े प्रोजेक्ट हैं।
गामा नाइफ का साल 2019 से हो रहा इंतजार
ब्रेन कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारियों के इलाज के लिए गामा नाइफ सबसे एडवांस तकनीक है। साल 2019 में इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। तब से ही इसके शुरू होने का इंतजार हो रहा है। कोरोना के चलते दो साल काम अटक गया था। देखा जाए तो यह सुविधा आने में 7 साल लग रहे हैं। इसका उपयोग ज्यादातर नसों में मौजूद छोटे ट्यूमर खासकर ब्रेन ट्यूमर के लिए किया जाता है। इसमें रेडिएशन केवल ट्यूमर पर दिया जाता है, जो कैंसर सेल के अंदर मौजूद डीएनए को नष्ट कर देता है। यह 99 फीसदी कारगर है।